पूर्व सांसद शहीद सुनील महतो पर कविता ।

शहीद सुनील महतो को श्रद्धांजलि

न्याय की लौ जलती रहे,
तेरी याद संवरती रहे।
झारखण्ड की इस धरती पर,
तेरी गाथा गूंजती रहे।।

सच्चाई का था तू प्रहरी,
जनता का सच्चा साथी।
शोषितों की आवाज उठा,
लड़ा था तू हर राती।।

तेरा बलिदान न भूलेंगे,
हर दिल में तू बसता है।
शहीदों की इस माटी का,
हर कण तुझसे जुड़ता है।।

श्रद्धांजलि तुझे, हे वीर सपूत!

शहीद सुनील महतो को श्रद्धांजलि

तेरी कुर्बानी व्यर्थ न जाएगी,
तेरी गाथा अमर रहेगी।
झारखंड की इस माटी में,
हर सांस तेरा नाम कहेगी।।

सच की राह पर चलता रहा,
जनता का तू सच्चा नायक।
निर्धन, शोषित, पीड़ित जन का,
था तू एक सशक्त सहायक।।

हिम्मत तेरी चट्टान सी थी,
सपनों से भरी उड़ान थी।
झारखंड के हर कोने में,
तेरी बुलंद पहचान थी।।

नक्सली गोली से झुक न सका,
तू था संघर्षों की ज्वाला।
तेरी कुर्बानी ने सींचा,
आजादी का हर इक प्याला।।

तेरा सपना, तेरा संघर्ष,
हम आगे भी बढ़ाएंगे।
तेरे अधूरे हर सपनों को,
मिलकर हम साकार करेंगे।।

झारखंड की इस माटी पर,
तेरी याद अमर रहेगी।
सच्चाई के इस प्रहरी को,
जन-जन नमन करेगा सदा।।

शत-शत नमन शहीद सुनील महतो को!

उनका जीवन परिचय

शहीद सुनील कुमार महतो (11 जनवरी 1966 – 4 मार्च 2007) एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता थे। वह 2004 में जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
सुनील महतो का जन्म 11 जनवरी 1966 को झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के छोटा गम्हारिया गांव में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से प्राप्त की और बी.कॉम की पढ़ाई को-ऑपरेटिव कॉलेज, जमशेदपुर से पूरी की।

राजनीतिक जीवन:
महतो ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत आजसू पार्टी से की थी। बाद में, उन्होंने झामुमो में शामिल होकर 2004 के लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर सीट से भाजपा की आभा महतो को बड़े अंतर से हराया। उनकी लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता के कारण पार्टी में उनका कद बढ़ता गया, और कोल्हान प्रमंडल में झामुमो की रणनीति तय करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

हत्या:
4 मार्च 2007 को होली के अवसर पर, महतो घाटशिला अनुमंडल के किशनपुर गांव में एक फुटबॉल टूर्नामेंट के मुख्य अतिथि थे। इस दौरान संदिग्ध नक्सलियों ने उन पर हमला किया, जिसमें उनकी और उनके दो अंगरक्षकों की मृत्यु हो गई।

हत्या की जांच:
महतो की हत्या के बाद मामले की जांच सीबीआई और एनआईए जैसी एजेंसियों को सौंपी गई। मुख्य आरोपी नक्सली रंजीत पाल उर्फ राहुल ने 2017 में पश्चिम बंगाल में आत्मसमर्पण किया, लेकिन जांच एजेंसियां उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ नहीं कर सकीं। हत्या के 17 साल बाद भी यह मामला अनसुलझा है, और न्याय की प्रतीक्षा जारी है।

सुनील महतो की हत्या के बाद उनकी पत्नी सुमन महतो ने भी इस हत्याकांड के कारणों का पता लगाने का प्रयास किया, लेकिन न्याय की प्रक्रिया में अभी तक सफलता नहीं मिली है।

शहीद सुनील महतो की जयंती पर झारखंड में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके योगदान को याद करते हैं।

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