नौजवान करेंगे बदलाव का शंखनाद : संजय मेहता, झारखंडी महापंचायत में जुटेंगे एक लाख झारखंडी

24 जनवरी को हजारीबाग, हवाई अड्डा मैदान में होगा महाजुटानलोकसभा चुनाव से पूर्व जेबीकेएसएस की सभा में उमड़ेगा जनसैलाब

स्थानीय मुद्दों एवं नेतृत्व के मसले पर चल रही लड़ाई ने अब व्यापक स्वरूप धारण कर लिया है। नौजवानों की टोली ने पिछले दो साल में झारखंड के भीतर राजनीतिक खलबली मचा दी है।

झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के बैनर तले जयराम महतो एवं संजय मेहता के नेतृत्व में पूरे राज्य के भीतर बड़ा आंदोलन छेड़ दिया गया है। लगातार बड़ी – बड़ी सभाएं की जा रही है। बदलाव संकल्प सभा के माध्यम से संजय मेहता एवं जयराम महतो ने सैकड़ों सभाओं को संबोधित किया। इस दौरान लाखों की भीड़ उमड़ी। अब एक बार फिर जेबीकेएसएस ने बड़ी सभा का एलान कर दिया है। इसे झारखंडी महापंचायत का नाम दिया गया है। इसमें हज़ारीबाग लोकसभा क्षेत्र समेत अन्य हिस्सों से लगभग एक लाख लोगों का जनसैलाब मैदान पर उतारने की तैयारी है।

क्यों की जा रही है यह महापंचायत, दरअसल जिन स्थानीय, नियोजन, पुनर्वास के मुद्दों पर नौजवान झारखंड में यह लड़ाई लड़ रहे हैं उन मुद्दों का नीतिगत समाधान चाहते हैं। हालांकि इस बीच इन नौजवानों ने नेतृत्व में हकमारी को भी एक मुद्दा बनाया है। नौजवानों का कहना है कि झारखण्ड यदि अलग राज्य बना है तो यहाँ सांसद – विधायक बनने का पहला हक झारखंडियों का है। लेकिन राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के छल के कारण झारखंड के लोग नेतृत्व में हक पाने से वंचित हो जा रहे हैं। ऐसे में झारखंड की जनता में राजनीतिक चेतना लाना बेहद जरूरी है। झारखंड की जनता अपना वोट झारखंडी माटी के बेटा – बेटी को दे।

एक लाख लोग शामिल होंगे। गाँव – गाँव सभा होगी, सभा से पूर्व हज़ारीबाग लोकसभा क्षेत्र एवं अन्य हिस्सों के हर पंचायत एवं गाँव में जन जागरूकता अभियान चलेगा। जिसमें लोगों से हज़ारीबाग चलने का आह्वान किया जाएगा। हजारीबाग में 24 जनवरी को होने वाले इस झारखंडी महापंचायत में हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के करीब एक लाख लोग शामिल होंगे। इसके लिए बूथ एवं पंचायत स्तर तक की कमिटी को सक्रिय किया गया है।

स्थानीय मुद्दों की आवाज बुलंद होगी, महापंचायत में मुख्य तौर पर स्थानीय हक अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे झारखंडी योद्धा जयराम महतो एवं संजय मेहता सहित झारखंड के अन्य वक्ता अपनी राय रखेंगे। महापंचायत में हजारीबाग, चतरा, रामगढ़, कोडरमा, ,बोकारो, धनबाद, राँची, गिरिडीह जिले समेत अन्य हिस्से के लोग शामिल होंगे। विशेषकर हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के बरही, हजारीबाग सदर, बड़कागांव, मांडु और रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के आम जनमानस की सहभागिता होगी। महाजुटान का आयोजन झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) के हजारीबाग इकाई द्वारा किया जा रहा है जो नगवां टोल प्लाजा के समीप हवाई अड्डा मैदान में आयोजित होगी। समिति ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है।

महापंचायत के मुख्य मुद्दे, इस महापंचायत का मुख्य मुद्दा खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति होगा। साथ ही झारखंड समेत हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं पर भी वक्ता अपनी राय रखेंगे। झारखंड की नौकरी में झारखंड के लोगों को हक़, निजी क्षेत्र के उद्योगों में स्थानीय को 75 प्रतिशत नौकरी, बड़कागांव में जमीनों की लूट, पकरी – बरवाडीह परियोजना में अब तक कई रैयतों को मुआवजा नहीं मिल पाना, बरही में जियाडा भूमि पर स्थापित उद्योगों से हो रहे प्रदूषण, रामगढ़ के गोला, बूढाखाप में प्रदूषण की समस्या, जमीनों की लूट, छात्रों को अब तक छात्रवृति नहीं मिल पाना, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण, हजारीबाग से लंबी दूरी की ट्रेनों की माँग, एनएच चौड़ीकरण में कई प्रभावित रैयतों को अब तक मुआवजा नहीं मिल पाना आदि माँगों एवं समस्याओं को लेकर वक्ता अपने – अपने विचार रखेंगे।

हज़ारीबाग लोकसभा में बदलाव करने का संदेश दिया जाएगा, वैसे सीट जहाँ पर झारखंडी माटी के सांसद – विधायक नहीं हैं। वहाँ पर जेबीकेएसएस जनजागरूकता लाने का कार्य कर रहा है। इस सभा के माध्यम से हज़ारीबाग लोकसभा में बदलाव का संदेश दिया जाएगा। आम लोगों से झारखंड के लोगों को सांसद – विधायक चुनने का आह्वान किया जाएगा।

हज़ारीबाग को चाहिए माटी का सांसद : संजय मेहता, महापंचायत को लेकर राज्य के युवा नेतृत्वकर्ता एवं जेबीकेएसएस के संस्थापक सदस्य संजय मेहता ने कहा है की झारखंड 23 सालों बाद भी नीतिगत मसलों के दोराहे पर खड़ा है।उन्होंने कहा कि झारखंड में एक बड़े नेतृत्व परिवर्तन की जरूरत है। यहाँ के लोगों को राज्य और केंद्र दोनों सरकारों ने ठगा है। यहाँ के सांसद विधायक सिर्फ अपना जेब भर रहे हैं। यहाँ के नेता गरीबों की जमीन को लूटने के लिए छोड़ देते हैं लेकिन उनके लिए लड़ते नहीं। झारखंड की स्थानीय नीति स्पष्ट नहीं होने के कारण नियोजन नीति का भी बिंदु फँस जा रहा है। छात्र नौजवानों में निराशा है। नियुक्ति समय पर नहीं हो पा रही है। साथ ही निजी क्षेत्र के उद्योगों में स्थानीय को 75 प्रतिशत नौकरी की बात कही गयी है। इसके लिए विधेयक भी लाया गया। इसके बावजूद इसका पालन नहीं हो रहा। कई परियोजनाओं के नाम पर गरीब – किसानों का भूमि अधिग्रहित कर लिया गया लेकिन उन्हें आज तक मुआवजा नहीं मिला। कंपनियों के आने से प्रदूषण चरम पर है। पेयजल की समस्या बढ़ती जा रही है। पुनर्वास की नीति नहीं है। किसान अपने खेत होने के बावजूद विस्थापन से सड़क पर आ गया है। ऐसे में झारखंड के सभी लोकसभा और विधानसभा सीट पर स्थानीय और ईमानदार लोगों की जरूरत है। जो जनता के मुद्दों के साथ खड़े रहें न कि कम्पनियों से सांठ – गाँठ कर ले। ऐसे में विस्थापन एवं नियोजन की समस्या का स्थायी निदान जरूरी है। हज़ारीबाग को माटी का सांसद चाहिए जो यहाँ की विस्थापन एवं खनन से उत्पन्न समस्या को लोकसभा में बुलंदी के साथ रख सके।

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